मरीज-ए-इश्क - mareez-e-ishq

ओ हो..ओ हो.. ओ हो..

तलब है तू, तू है नशा
ग़ुलाम है दिल ये तेरा
खुलके ज़रा जी लूं तुझे
आजा मेरी साँसों में आ

तलब है तू, तू है नशा
ग़ुलाम है दिल ये तेरा
खुलके ज़रा जी लूं तुझे
आजा मेरी साँसों में आ


मरीज़-ए-इश्क़ हूँ मैं, कर दे दवा
हाथ रख दे तू दिल पे ज़रा
ओ.. हाथ रख दे तू दिल पे ज़रा
ओ हो..हो..

तुझे मेरे रब ने मिलाया
मैंने तुझे अपना बनाया
अब ना बिछड़ना खुदाया

तुझे मेरे रब ने मिलाया
मैंने तुझे अपना बनाया
अब ना बिछड़ना खुदाया


मोहब्बत रूह की है लाज़िम रिज़ा
हाथ रख दे, तू दिल पे ज़रा
ओ.. हाथ रख दे तू दिल पे ज़रा
ओ.. हाथ रख दे तू दिल पे ज़रा
ओ हो..ओ हो.. ओ हो..

चाहा तुझे मैंने वफ़ा से
माँगा तुझे मैंने दुआ से
पाया तुझे तेरी अदा से

चाहा तुझे मैंने वफ़ा से
माँगा तुझे मैंने दुआ से
पाया तुझे तेरी अदा से

करम हद से है ज़्यादा मुझपे तेरा..
हाथ रख दे तू दिल पे ज़रा
ओ हाथ रख दे तू दिल पे ज़रा
ओ हाथ रख दे तू दिल पे ज़रा । ।